
Supreme Court: फैमिली कोर्ट के एक फैसले की आलोचना करते हुए जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि 'काजी कोर्ट', 'शरिया कोर्ट' और इसी तरह के अन्य कोर्ट को कानून में कोई मान्यता नहीं है. उनका फैसला बाध्यकारी नहीं है और किसी को भी इसे कबूल करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
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