

इक्वेटर के करीब होने के कारण सिंगापुर में तापमान सामान्य तौर पर 32 डिग्री सेल्सियस (90 डिग्री फारेनहाइट) तक पहुंच जाता है। लेकिन, यहां अवॉर्ड विनिंग बॉटनिकल गार्डन के पास मौजूद कई बहुमंजिला इमारतों में अधिकतम तापमान सिर्फ 24 डिग्री सेल्सियस ही रहता है।
यहां भी एयर कंडीशनर की बदौलत ही तापमान को नियंत्रित रखा जा रहा है, लेकिन खासियत यह है कि यहां का एसी सिस्टम इको फ्रेंडली हैं। ये न सिर्फ बड़ी-बड़ी बिल्डिंग और परिसर को ठंडा रख रहा है बल्कि धरती को भी ग्लोबल वार्मिंग से बचा रहा है। इस सिस्टम का नाम है मरीना बे कूलिंग सिस्टम। यह पूरी तरह अंडरग्राउंड है। इससे ऊर्जा की 40 फीसदी तक बचत होती है। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण में भी बड़ी कमी आई है।
यह कूलिंग सिस्टम इको-फ्रेंडली है
यह सिस्टम पाइप के जरिए आसपास के पांच किलोमीटर तक के इलाके में मौजूद घरों को कूलिंग की सुविधा उपलब्ध कराता है। इस सिस्टम से जितनी ऊर्जा बचती है उससे आम एयरकंडीशनर के जरिए 24 हजार अतिरिक्त घरों में कूलिंग दी जा सकती है। यह बचत ऐसी है मानों शहर की सड़कों से 10 हजार कारों को स्थाई रूप से हटा लिया गया हो।
ऊर्जा खपत को नियंत्रित करने में कारगर सिस्टम
सिंगापुर को इस तरह की पहल इसलिए करनी पड़ी क्योंकि कुछ सालों से कूलिंग की डिमांड लगातार बढ़ रही थी। इससे ऊर्जा की खपत ज्यादा हो रही थी और साथ ही पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा था। पिछले दो दशक में दुनियाभर में एयर कंडीशनिंग का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है।
एसी के डिमांड में इजाफे की अगुवाई चीन कर रहा है। वहां स्पेस कूलिंग के लिए ऊर्जा की डिमांड हर साल 13 फीसदी की दर से बढ़ रही है। ऊर्जा की डिमांड में यह बढ़ोतरी यूके की सालाना खपत से ज्यादा है।
दुनिया में हर सेकंड बिकते हैं 10 नए एयर कंडीशनर
अन्य विकासशील देश भी तेजी से चीन की राह पर जा रहे हैं। एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में आय का स्तर बढ़ रहा है। इन देशों में जो परिवार मध्यम वर्ग में प्रवेश करता है उनके लिए एसी रखना स्टेटस सिंबल जैसा है।
एक अनुमान के मुताबिक अब से साल 2050 तक दुनिया भर में हर सेकंड में 10 नए एयर कंडीशनर बिकेंगे। 2050 तक दुनिया के दो तिहाई परिवारों के पास एयर कंडीशनर होगा। इनमें से आधे एयर कंडीशनर भारत, चीन और इंडोनेशिया में होंगे। दुनिया में यही ट्रेंड जारी रहा तो कुल उपलब्ध ऊर्जा का एक तिहाई सिर्फ घरों और वाहनों की कूलिंग पर खर्च करना होगा।
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